अमरूद की खेती पूरी जानकारी। Amrudh ki kheti Puri jankari
राज्य|
सबसे पहले बात करते हैं कि अमरूद की खेती किन किन राज्य में की जाती है जैसे उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार छत्तीसगढ़ आवास गुजरात पश्चिम बंगाल उड़ीसा कर्नाटक इन सभी राज्यों में अमरूद की गई थी अच्छी तरह कैसे की जाती है |
मिट्टी एवं जलवायु|
अब बात करते हैं कि अमरूद की खेती के लिए किस प्रकार की मिट्टी एवं जल पश्चिम बंगाल मिट्टी एवं जलवायु की आवश्यकता होती है अमरुद एक कठोर पौधा है जो कि किसी भी प्रकार की मिट्टी में आसानी से हो जाता है जिस मिट्टी का पीएच मान 5 से 9 का है इसमें यह आसानी से हो जाता है अगर आप की मिट्टी का पीएच मान 8 से 9 हो तो भी यह अच्छे उत्पादन देगा एक बात का ध्यान रखें जब पौधा 1 साल ईयर डेढ़ साल का होता है तो यह ज्यादा ठंड और पानी की कमी को सहन नहीं कर सकता है इसलिए इसे समय-समय पर पानी देते रहना चाहिए लेकिन जब यह पौधा बड़ा हो जाता है तो यह सूखे को भी सेंड कर सकता है और ज्यादा गर्मी को भी सेंड कर सकता है सर्दियों में पौधे में ज्यादा फल लगते हैं और उनकी गुणवत्ता भी अच्छी होती है |
तापमान|
इसके लिए उपयुक्त तापमान 25 से 30 डिग्री माना जाता है इस फसल की खेती करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात होती है की कौन सी किस्म का चयन करें कि उनका चयन जलवायु क्षेत्र के हिसाब से करना चाहिए अमरूद की प्रचलित किस में कुछ इस प्रकार है 4 से 9 जिसको सरदार गुआवा भी कहते हैं यह महाराष्ट्र एवं आंध्र प्रदेश की एक प्रचलित किसमें अलावा सफेदा उत्तर प्रदेश में बहुत फेमस है ललित एप्पल कलर हिसार से पैदा हुए थे जो कि बिहार में सबसे ज्यादा फेमस है |
पौधे|
अब बात आती हैं की कोनस पौधे खेत में लगाए कौन से पौधे खेत में लगाएं बीच से तैयार हो तो खेत में लगाएं या गोटी या वेज ग्राफ्टिंग से तैयार किए गए पौधे खेत में लगाएं अगर आप भी से तैयार खेत में लगाएंगे तो कल काम आएगा और फल भी 5 साल में है इसलिए आपको भूटिया केयरिंग से तैयार पौधे लगाने या फिर भेज ग्राफ्टिंग से तैयार पूरे खेत में लगाने की तैयारी करें खेत की तैयारी शुरू कर देनी चाहिए|
खेत की तैयारी कसे करे |
3 मई के महीने से ही शुरु कर देनी चाहिए मई के महीने में खेत की गहरी जुताई करें एवं खेत में 20 टन गोबर की खाद डालें उसके बाद खेत में पौधरोपण से 15 दिन पहले 90 सेंटीमीटर चौड़ा 90 सेंटीमीटर लंबा 90 सेंटीमीटर गहरा गड्ढा को दे और उसको खुला छोड़ दें उसके बाद पौधे लगाने से दो-तीन दिन पहले उसमें 20 से 25 किलोग्राम गोबर की खाद मिलाएं एवं सौ ग्राम यूरिया सौ ग्राम डीएपी एवं 100 ग्राम पोटाश मिलाएं और गड्ढे में पानी डालने और उसके दो-तीन दिन बाद रोपाई करें अब बात आती है |
पौधरोपण और दूरी|
खेत में पौधरोपण कब करें और कितनी दूरी पर करें तो खेत में रोपण जून-जुलाई में करना चाहिए और छह गुणा 6 मीटर की दूरी 5 गुना 5 मीटर की दूरी पर आप पौध के रोपण कर सकते हैं अगर पौधों के रोपण कर सकते हैं अगर आप 6 गुना 6 मीटर में पौधों का रोपण करेंगे तो आपकी एक हेक्टेयर में 278 पौधे आएंगे अगर आप 5 गुना 5 मीटर पर रुपए करते हैं तो आपके 11 के खेत में 400 पौधे आएंगे आजकल सघन खेती भी काफी प्रचलित हो रही है जिसमें 6 मीटर एवं पिंटू 3 मीटर पर पौधे लगाए जाते हैं या तीन गुणा 3 मीटर पर पौधे लगाए जाते हैं या तीन गुणा 1.5 मीटर पर भी पौधे लगाए जा सकते हैं अपने खेत में पौधा लगा दिया है लेकिन जब तक 2 महीने का हो जाए तब उसकी कटाई छटाई करें क्योंकि शुरुआती अवस्था में पौधे का ढांचा या फ्रेम बनाना जरूरी होता है तभी पौधे को अच्छी धूप मिलेगी और जितनी उसको धूप मिलेगी उतनी बार होगी और उसमें उतने ही फल लगेंगे |
कटाई चटाई कैसे करें|
अब बात करते हैं कटाई चटाई कैसे करें पौधे की रोपाई आप खेत में कर दें और पौधा दो से 3 महीने का हो जाए तब कटाई छटाई करें पौधे को जमीन से 70 सेंटीमीटर या सवा 2 फीट से ऊपरी भाग को काट दें जब आप उसको काट देंगे तो दो सेट भरोसा से ऊपरी भाग को काट दें जब आप उसको काट देंगे तो दो से तीन महीने बाद उस कटे तने के नीचे से उसमें बहुत सारा ही निकलेंगे आप को केवल 4 से 5 शाखाएं जो सभी दिशाओं में बराबर दूरी पर हो उनको बढ़ने देना है और अन्य शाखाओं को काट देना है जब यह शाखाएं 3 से 4 महीने की हो जाए तो इनको 50% काट देना है मतलब समझी 50% का मान लो आपने जो साथ रहती है वह तो फिट हो गई है तो उसकी ऊपर वाले भाग को 1 फीट काट देना है यह सभी शाखाओं में करें और पौधे को फिर तीन चार महीने बढ़ने दें जहां से आप ने सांपों को काटा था उसके नीचे से नहीं सका पड़ेगी फिर आपको वापस तीन चार शाखाएं रखनी है और सभी को काट देना है इससे आप के पौधे का ढांचा तैयार होगा जब इसमें पर आएंगे तो यह मजबूती से उनको उनका भजन सेंड कर पाएगा और अच्छी गुणवत्ता के होंगे को काटने के बाद कटे हुए स्थान पर गाय का गोबर अवश्य लगाएं या फिर बाजार से बोतल ले आए और उसका गोल बनाकर कटे हुए स्थान पर लगा दें जिससे सड़क बीमारी नहीं आएगी करने के बाद 10 किलोग्राम गोबर खाद अवश्य डालेंकटाई की प्रिकीर्या को 2 साल तक करना है |
2 साल के बाद अमरुद में फूल आने लग जाएंगे और अलबेला देंगे लेकिन मैं आपको सलाह दूंगा कि आप उन फलों को ना लें क्योंकि वह छोटा होता है और आप अगर पढ़ लेंगे तो पौधे का विकास अच्छे से नहीं होगा क्योंकि पौधे की उर्जा पौधे बढ़ने की वजह फलों में जाएगी इसलिए 2 साल से फल लाने और फूलों को तोड़ दें और पौधे को बढ़ने दें जब अगली फसल आएगी तो उसका उत्पादन बहुत अधिक होगा एवं गुणवत्ता वाला होगा और हां अगर आप के पौधे की बढ़वार बहुत अच्छी हो तो आप दोस्त दूसरे साल से भी फल ले सकते हैं पौधे की कटाई चटाई का मुख्य उद्देश होता है कि पौधे का ढांचा तैयार करना एवं पौधे की उत्पादन क्षमता को बढ़ाना क्योंकि जब हम कटाई छटाई करते हैं तो उसमें से नई नई शाखाएं निकलती है और जो शायद 2 से 3 महीने की होती है उन्हीं में सबसे ज्यादा फल लगते हैं और जो पुरानी शाखाएं होती है उनमें ना के बराबर फल लगते हैं इसलिए कटाई छटाई करते रहना चाहिए |
सिंचाई|
सिंचाई की अमरूद का पौधा पानी की कमी तो सहन कर सकता है लेकिन अगर फूलों के समय पानी की कमी हुई तो इसमें फूल झड़ने लग जाते हैं जिससे पौधे का उत्पादन कम हो जाता है इसलिए समय-समय पर पौधे में पानी देते रहना चाहिए और जिन किसानों के पास पानी की कमी है वह किसान ड्रिप सिस्टम से या टपक सिंचाई से खेती कर सकते हैं जिससे पानी कम लगेगा पौधे का विकास अच्छा होगा और आप टपक सिंचाई के माध्यम से चुप घुलनशील उर्वरक आते हैं उनको पानी में घोलकर सीधे पौधों तक पहुंचा सकते हैं|
खरपतवार नियंत्रण |
खरपतवार नियंत्रण की खरपतवार को खेत में कम से कम होने दें क्योंकि अगर आपने खरपतवार नहीं हटाए तो पौधे के हिस्से के जो पोषक तत्व उसको खरपतवार ले लेगी और आप कब पौधे का विकास कम होगा जिससे उत्पादन भी कम होगा दूसरी बात अगर ज्यादा खरपतवार होगी तो खेत में खीर भी आएंगे और पौधे को नुकसान पहुंचाएंगे और अलग-अलग तरह की बीमारियां भी आएंगी खरपतवार नियंत्रण के लिए आप एक काम कर सकते हैं जब आप खेत की जुताई करते हैं उस समय अगर खेत में थोड़ी नमी हो तब पौधरोपण से पहले पिंड मित्र या ब्लू क्लोरिन नाम की दवाई का उपयोग कर सकते हैं विंडमिल इन या फ्लू क्लोरीन को एक से डेढ़ लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से अगर आप खेत में डालेंगे तो आप के खेत में 7 दिनों तक कोई भी खरपतवार नहीं होगे|
उर्वरक प्रबंधन |
उर्वरक प्रबंधन की साल में पौधे को दो बार और वो रख देना चाहिए पहला जून-जुलाई में एवं दूसरा अक्टूबर में 1 पौधे को 1 साल में 1 किलो यूरिया 500 ग्राम डीएपी पोटाश देना चाहिए जिसमें डीएपी एवं पोटास की मात्रा एवं यात्रा जून-जुलाई में देनी चाहिए और यूरिया की आधी मात्रा को अक्टूबर में देना चाहिए जैसे जैसे उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे उर्वरकों की मात्रा भी बढ़ाते रहना चाहिए अब बात करते हैं फूल अवस्था जी हम हो जाते हैं साल भर में 3 बार फूल आते हैं और जो फूल फरवरी-मार्च में आते हैं उनको हम भी बार कहते हैं फुलाने के 10 से 12 दिन में फल दिखाई देता है और यह व्यवस्था 25 से 45 दिन तक चलती है यह अलग-अलग किस्में एवं जलवायु के कारण होता है अमरूद में 80% फूलों में फल लगते हैं लेकिन केवल 35 से 7 परसेंट फल पाते हैं बाकी 30 से 40 परसेंट पर गिर जाते हैं या खराब हो जाते हैं |
यह बात जानना भी जरूरी है कि आखिर क्यों गिरते हैं इसका मुख्य कारण है पानी की कमी हो सकती है या किसी सुख की कमी हो सकती है या फूलों का ठीक से नहीं होता है तब गिरते एक की दाता है जिसका नाम की है जिसकी वजह से भी फल गिर थे से निपटने के लिए आपको करने पड़ेंगे |
दवाई|
जैसे जिओ 3G बरेली कैसेट 15 से 30 पीपीएम का घोल बनाकर छिड़काव करें या बोरेक्स 3 ग्राम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें और फल मक्खी के लिए डाई में थर्ड प्रोपोर्शनल फोर्स का 2 मिलीलीटर प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें जिससे इन समस्याओं से आप निजात पा सकते हैं अब बात करते हैं कि कौन सी फसल में गर्मी की फसल में बरसात की पसंद की फसल में सबसे अच्छी फसल की मानी जाती है जिन पलों की तोड़ाई ठंडो में की जाती है बे फसल सबसे अच्छी मानी जाती है|
आइए जानते हैं क्यों ठंडो की फसल सबसे अच्छी मानी जाती है एक बार मतलब जो फूल जून-जुलाई में आते हैं दरअसल लेनी चाहिए क्योंकि इसके अच्छी क्वालिटी के होते हैं अच्छी क्वालिटी इसलिए होती है क्योंकि एक तो पौधे को पानी की कमी नहीं होती दूसरी बात इन पलों में फूडफ्लाई के समस्या नहीं आती रिप्लाई की समस्या हम बीमार मतलब जो फूल फरवरी-मार्च में आते हैं और जुलाई-अगस्त में जिन की तुलाई होती है उनमें आती है जुलाई में अपने अंडे के पल में दे दी थी और वह फल खराब हो जाते हैं इसलिए ज्यादा अच्छा होगा कि एक बार वाली फसल ले जिसकी चौड़ाई नवंबर दिसंबर में होगी मतलब की ठंड में होंगी पौधे में फूल आने से पहले फोन कौन से महत्वपूर्ण कार्य करना चाहिए जैसे पौधे की कटाई छटाई फरवरी-मार्च में कर देनी चाहिए अप्रैल में गिरी करनी चाहिए पानी देना बंद कर देना चाहिए एवं कर देनी चाहिए |
जिससे पौधे का विकास रुक जाएगा और आराम मिल जाएगा मतलब फल आने से पहले मिल जाएगा आपको 2 महीने पानी नहीं देना है या महीने में एक बार पानी देना है जिसे लग जाए जो मैं पौधे को गोबर की खाद दें और फिर उसमें पानी दे |
पौधे में अच्छे फूल आएंगे और फल भी ज्यादा लगेंगे पानी ना देने और पौधे की कटाई छटाई करने का उद्देश्य की जो भी पालन होता है वह 2 से 3 महीने वाली शाखाओं में होता है इसलिए कटाई छटाई करते रहना जरूरी है और पानी कम देने से पौधे की बढ़वार कम होगी और पौधे को रिड्रेस्ड मिलेगा जिससे पौधे अपनी उर्जा फुलाने के समय उपयोग करेगा जिससे ज्यादा फूल आएंगे और फल भी ज्यादा लगेंगे|
फलन अवस्था की फुल आने 120 से 140 दिन बाद फलों की तोड़ाई की जा सकती है अगर आप मेरे ग्वार की फसल ले रहे हैं तो आप की फसल नवंबर दिसंबर में थोड़ा ही लायक हो जाएगी और आप अगर हम बेवर की फसल ले रहे हैं तो आप की फसल जुलाई-अगस्त में तोड़ने लायक हो जाएगी अब बात करते हैं |
उत्पादन|
अमरूद की फसल से एक हेक्टेयर में कितना उत्पादन हो जाता है या 1 एकड़ से कितना उत्पादन हो जाता है अगर आप 6 गुणा 3 मीटर की दूरी पर पौधे लगा रहे हैं तो आपको एक हेक्टेयर के लिए 555 पौधों की जरूरत पड़ेगी या 1 एकड़ के लिए 220 पौधों की जरूरत पड़ेगी एक हेक्टेयर में 25 से 30 टन का उत्पादन मिल जाता है और अगर आप अमरूद की सघन खेती करते हैं मतलब तीन मोड़ा 1.5 मीटर पर पौधे लगाते हैं तो आपको एक हेक्टेयर में 22 पौधों की आवश्यकता होगी या 1 एकड़ में 870 पौधे की आवश्यकता होगी वैसे तो पौधा 3 साल से फल देने लगता है लेकिन शुरुआत में इसका उत्पादन कम होता है शुरुआत में इसका उत्पादन 1 हेक्टेयर से लगभग 20 से 30 टन होता है लेकिन जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है और 5 से 7 साल का हो जाता है तब आपको यह 40 से 50 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन दे सकता है लेकिन यह तभी संभव है जब आप बगीचे का देख रखा अच्छी तरीके से करें जैसे समय पर कटाई छटाई करना पूर्व समय पर देना समय-समय पर बुराई करना और कीट एवं बीमारियों की रोकथाम करना तो आपको निश्चित तौर पर 40 से 50 टन का उत्पादन मिल सकता है|